प्रत्येक वार को किसी विशेष नक्षत्र से युक्त होने पर कुछ विशेष योग बनते हैं, इन सात अति-शुभ योगों को अमृतसिद्धि योग कहा जाता है । ये सभी योग अपने नाम की ही तरह अत्यन्त शुभ अमृत तुल्य फल देने वाले होते हैं ।
गुरुवार को चन्द्रमा के पुष्य नक्षत्र पर होने से गुरुपुष्य नामक अमृतसिद्धि योग बनता है ।वर्तमान संवत्. २०७१ में कुल तीन ही गुरुपुष्यामृत योग हैं । इनमें से एक १८ सितंब
र को जा चुका है, दूसरा १६ अक्टूबर को आने वाला है तथा तीसरा १३ नवम्बर को आएगा ।
गुरुपुष्यामृत योग प्रधानतः यंत्र-मंत्र-तंत्र सिद्धिदायक है । लेकिन गृहस्थी जन भी इस शुभ योग का लाभ सहज ही उठा सकते हैं । इस दिन धातु (चाँदी-सोना), भूमि-भवन-वाहन, विभिन्न रत्न-मणि (क्रय व धारण), ग्रहोपयोगी व व्यवसायोपयोगी वस्तुओं का क्रय करना लाभदायक होता है ।
* समय:-
जयपुर (राजस्थान) के लिए, १६ अक्टूबर दिन में १०:४७ से १७ अक्टूबर को प्रातः ६:३१ बजे तक यह अत्यंत शुभदायक योग रहेगा ।
सीकर (राजस्थान) के लिए, १६ अक्टूबर दिन में १०:४४ से १७ अक्टूबर को प्रातः ६:३५ बजे तक यह अत्यंत शुभदायक योग रहेगा ।
नोट- भोगवाद के इस युग में ज्योतिष भी अनछुई नहीं रही है, बहुत से समाचार पत्र, टी.वी., व वेबसाईट १७ अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र के समाप्ति काल तक के समय को गुरुपुष्य बताकर, अपनी प्रायोजकों को लाभ पहुंचाने में लगे हैं, सावधान, उनके लाभ के चक्कर में कहीं आपको हानि न हो जाए ।
इस अद्भुत समय में यदि आप भी चतुर्विध सफलता हेतु, ग्रहपीड़ा से मुक्ति हेतु, आर्थिक समस्याओं के निवारण हेतु कोई यंत्र प्राप्त करना चाहते हों तो अविलम्ब सम्पर्क करें ।
ReplyDelete