नासिक (त्र्यम्बक) में कुंभ महापर्व जब भाद्रपद अमावस्या को सूर्य, गुरु और चन्द्र तीनों सिंह राशि में होते हैं, तब मनाया जाता है ।
यथा-
सिंहराशिगते सूर्ये सिंह राशि बृहस्पतौ ।
गोदावर्यां भवेद्. कुंभः पुनरावृत्ति वर्जनः ॥१॥
सिंहे गुरुस्तथा भानुः चन्द्रः चन्द्रक्षयस्तथा ।
गोदावर्यां तदा कुंभो जायतेऽवनिमण्डले ॥२॥
उपरोक्त प्रमाणानुसार इस वर्ष संवत्, २०७२ विक्रमी में भाद्रपद क्-ष्ण अमावस्या दि. १३ सितम्बर २०१५ ईस्वी को सूर्य, गुरु व चंद्र तीनों सिंह राशि में विचरण करेंगे । अतः गोदावरी के पावन तट नासिक एवं श्री सिद्ध क्षेत्र त्र्यम्बकेश्वर में कुंभ महापर्व का आयोजन होगा ।
शास्त्रों में कुंभ महापर्व के तीर्थ पर कुंभ स्नान, दान, जप, ध्यान एवं यज्ञ आदि करने का विशेष महात्म्य बताया गया है । इसमें स्नान करने से हजारों अश्वमेध यज्ञ करने का अथवा पृथ्वी की एक लाख बार प्रदक्षिणा करने के साथ-साथ जीवनमुक्ति का पुण्य फल प्राप्त होता है ।
इस कुंभ में तीन विशेष स्नान संपन्न होंगे, जिन्हें शाही स्नान कहा जाता है । जिनकी तिथियां निम्न प्रकार हैं-
१. श्रावण शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार, २९.०८.२०१५ ई. - रक्षाबंधन, श्रावणी उपाकर्म पर्व
२. भाद्रपद कृष्ण अमावस्या, रविवार, १३.०९.२०१५ ई. - भाद्रपद अमावस्या
३. भाद्रपद शुक्ल पंचमी, शुक्रवार, १८.०९.२०१५ ई. - ऋषि पंचमी
इस कुंभ महापर्व की अन्य मुख्य स्नानादि की तिथियां निम्न प्रकार हैं-
१. श्रावण शुक्ल तृतीया, सोमवार, १७.०८.२०१५ ई. - सिंह संक्रांति पर्व
२. भाद्रपद कृष्ण अष्टमी, शनिवार, ०५.०९.२०१५ ई. - कृष्ण जन्माष्टमी पर्व
३. भाद्रपद कृष्ण एकादशी, मंगलवार, ०८.०९.२०१५ ई. - अजा एकादशी पर्व
४. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी, गुरुवार, १७.०९.२०१५१ ई. - कन्या संक्रांति पर्व
५. भाद्रपद शुक्ल द्वादशी, शुक्रवार, २५.०९.२०१५ ई. - वामन द्वादशी पर्व
नोट- अशक्त श्रद्धालु या वे लोग जो किन्हीं अपरिहार्य कारणों से इस कुंभ महापर्व में स्नान के लिये नासिक नहीं जा सकते हैं, वे यदि इस स्नान का लाभ लेना चाहें तो कुंभ महापर्व की केवल मुख्य स्नान तिथि भाद्रपद अमावस्या, रविवार, दिनांक १३ सितम्बर २०१५१ ई. को किसी नजदीकी नदी, तालाब या बावड़ी अथवा घर पर ही स्नान करते समय तीर्थ का जल, गंगा जल आदि मिलाकर भगवान्, शंकर एवं गोदावरी नदी का ध्यान करते हुए स्नान करें और मंत्रपूर्वक पुष्प, ताण्डुल आदि सहित तीन बार जलांजलि प्रदान करें ।
मंत्र- "गंगे यमुने चैव गोदावरि सरस्वति, नर्मदे सिंधु कावेरि जलेस्मिन्, संनिधिं कुरु॥"
फिर नमस्कार करके सूर्य भगवान्, को तीन बर ताम्र पात्र से अर्घ्य देवें-
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजो राशे जगत्पते । अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर ॥
इसके पश्चात्, यथाशक्ति जप-पाठ एवं दानादि करें, इससे कुंभ स्नानादि जैसा पुण्य प्राप्त होगा । कुंभ पर्व का स्नान दानादि का सर्वाधिक श्रेष्ठकाल सूर्योदय से पूर्व अरूणोदय काल रहेगा, फिर भी अमावस्या के संपूर्ण दिन स्नान-दानादि किया जा सकता है ।
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