॥ॐतत्सवितुरेण्यं॥
॥ॐश्रीगुरवेनमः॥
# जिस भूमि पर हरे-भरे वृक्ष, घास आदि हो, भूमि उपजाऊ हो, वह भूमि जीवित है तथा जिस भूमि पर काँटों के वृक्ष-घास हो अथवा भूमि ऊसर हो, वह मृत होती है। जीवित भूमि ग्राह्य है व मृत त्याज्य है।
# जिस भूमि पर किसी तरह के बिल (चींटी-चूहे-साँप आदि) हो, वह भूमि त्याज्य है।
# भूखण्ड के मध्य एक हाथ लम्बा-चौड़ा-गहरा खड्डा खोदें, अब इस खड्डे को इसी मिट्टी से भरें, यदि खड्डा भरने में मिट्टी शेष बचे तो श्रेष्ठ(सुख-समृद्धि वर्धक), पूरी हो तो मध्यम व कम हो तो नेष्ट(सुख-समृद्धि नाशक) समझें।
आगे कुछ और...
॥हरिः ॐ तत्सत्॥
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